जन्म और प्रारंभिक जीवन: हजरत मोहम्मद ﷺ का जन्म एक समृद्ध कुरैश जनजाति में हुआ था। उनके पिता का नाम हजरत अब्दुल्लाह और माता का नाम हजरत आमिना था। उनके पिता का निधन उनके जन्म से पहले ही हो गया था, और उनकी माता का निधन उनके बचपन में हो गया था। इसलिए, उनका पालन-पोषण उनके दादा हजरत अब्दुल मुत्तलिब और फिर उनके चाचा अबू तालिब ने किया।
विवाह: हजरत मोहम्मद ﷺ ने 25 साल की उम्र में हजरत खदीजा नामक एक विधवा से विवाह किया, जो उनसे 15 साल बड़ी थीं। हजरत खदीजा एक सफल व्यापारी थीं और उन्होंने हजरत मोहम्मद ﷺ को अपने व्यापार का संचालन करने का जिम्मा सौंपा था।
पैगंबरी: 610 ईस्वी में, जब हज़रत मोहम्मद ﷺ चालीस साल के थे, उन्हें हज़रत जिब्रील (गैब्रियल) नामक फ़रिश्ते ने सबसे पहले अल्लाह का सन्देश दिया। यह घटना हिरा की गुफा में हुई थी। इसके बाद, हज़रत मोहम्मद ﷺ ने इस्लाम का प्रचार शुरू किया, जिसमें उन्होंने तौहीद (एकेश्वरवाद) का संदेश दिया।
मक्का से मदीना हिजरत: 622 ईस्वी में, मक्का में बढ़ते विरोध के कारण हजरत मोहम्मद ﷺ और उनके अनुयायी मदीना (तब यसरिब) चले गए। इस घटना को हिजरत कहा जाता है और इस्लामी कैलेंडर हिजरी इसी से शुरू होता है।
मदीना में जीवन: मदीना में, हजरत मोहम्मद ﷺ ने एक इस्लामी राज्य की स्थापना की और कई महत्वपूर्ण युद्धों का नेतृत्व किया, जैसे बद्र, उहद और खंदक की लड़ाई।
मक्का की विजय: 630 ईस्वी में, हज़रत मोहम्मद ﷺ ने मक्का को बिना रक्तपात के विजय किया , इसे इस्लाम का पवित्र स्थल बना दिया।
मृत्यु: हजरत मोहम्मद ﷺ का निधन 632 ईस्वी में मदीना में हुआ। उनके निधन के बाद, इस्लाम का विस्तार तेजी से हुआ और यह दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक बन गया।
हजरत मोहम्मद ﷺ ने अपने जीवनकाल में कुरान को प्रवाहित किया, जो इस्लाम का पवित्र ग्रंथ है और मुसलमानों के जीवन के हर पहलू के लिए मार्गदर्शक है। उनके जीवन और उपदेशों को हदीस के रूप में भी संकलित किया गया है।
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